What is VPN and How it Works? Complete in Hindi


VPN क्या है और यह कैसे काम करता है?


आज दुनिया में Internet का काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। सारी चीजे Online होती जा रही है। आज हमे कुछ भी information चाहिए तो हम सबसे पहले Google Search करते है और हमे एक क्लिक पर ही सारी दुनिया की जानकारी मिल जाती है। 

VPN kya hai
what is vpn

ऐसे ही और भी काम जैसे की Movie देखना हो Songs सुन्ना हो कोई software  download करना हो या आपको internet Banking करनी हो Online Transaction करना हो इत्यादि।

लेकिन internet पर अपनी personal details share करना बहुत ही खतरनाक भी हो सकता है क्यूंकि online कुछ भी हो सकता है कई Hackers आपकी details चुराने के मकसद से बैठे रहते है और एक बार उनके हात आपकी कोई Confidential Details लग गई तो हो सकता है की वो आपको Blackmail करे या फिर कुछ Misuse करे। इन सबसे बचने का एक आसान तरीका है और वो है VPN ।
 
Virtual Private Network (VPN) क्या है ? कैसे काम करता है ? की ये secure है या नहीं ? इन सारी सवालो के जवाब और इसके Working Concept  को जाने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़े

VPN क्या है ? (What is VPN in Hindi)

Virtual Private Network(VPN) एक Public Network पर एक Private Network का की Service Provide करता है, और उपयोगकर्ताओं को एक Public Network पर भी Secure तरीके के साथ Data send और receive करने में सक्षम बनाता है जैसे कि उनके Compute devices किसी Private Network  से जुड़े हो।

Privacy, Security and Encryption (गोपनीयता, सुरक्षा और एन्क्रिप्शन)
एक VPN Private Network को security provide करता है, यह ensure करने के लिए वह  encryption और अन्य security mechanisms  का उपयोग करता है कि केवल authorized User ही उस Network का use कर सके और Data को  intercepted नहीं किया जा सके। 

इस प्रकार के Networks को एक secure, encrypted tunnel प्रदान करने के लिए VPN  designed किया गया है जिसमें data को remote user और company network के बिच transmit किया जासकता है  

Encrypted tunnel के माध्यम से दो locations के बीच transmit information किसी और द्वारा नहीं पढ़ा जा सकता है क्योंकि system में कंपनी के Private Network और outside network दोनों को secure करने के लिए कई elements शामिल हैं जिसके माध्यम से remote user connect होता है। 

सुरक्षा के लिए पहला कदम आम तौर पर client और host server के बीच firewall होता है, जिससे firewall के साथ एक प्रामाणिक connection स्थापित करने के लिए remote user की आवश्यकता होती है। 

Encryption भी एक secure VPN का एक महत्वपूर्ण घटक है। Encryption एक computer से भेजे गए सभी data को इस तरह से Encrypt करके काम करता है कि केवल जिस computer को वह भेज रहा है वही उस data को decrypt कर सकता है।


VPN के प्रकार (VPN Types)

मुख्य Network Protocols(Main Network Protocols)
VPN tunnel के साथ उपयोग के लिए तीन मुख्य Network Protocols हैं। ये Protocol आम तौर पर एक दूसरे के साथ incompatible होते हैं। उनमें निचे दिए गए निम्नलिखित Protocols शामिल हैं:

IPSec
Internet Protocol Security एक secure network protocol suite है, जो Internet Protocol network पर भेजे गए data के packets को authenticates और encrypt करता है। इसका उपयोग Virtual Private Network(VPN) में किया जाता है

PPTP
Point-to-Point Tunneling Protocol virtual private networks को लागू करने के लिए एक obsolete method है। PPTP में कई जाने माने security issues हैं। PPP packets को encapsulate करने के लिए PPTP एक TCP control channel और एक Generic Routing Encapsulation tunnel  का उपयोग करता है

L2TP
Layer 2 Tunneling Protocol एक tunneling protocol है जिसका virtual private networks या ISPs द्वारा services के delivery के हिस्से के रूप में किया जाता है। यह अपने आप कोई encryption या confidentiality provide नहीं करता है।

VPN कैसे काम करता है (How it Works)

आइये इसे बिलकुल simple Language में समझतें हैं VPN कैसे काम करता है। अब मानलो आप Internet connection use करते हो। तो किसी न किसी company से या किसी न किसी ISP Internet service provider से अपने connection लिया होगा हो सकता है वो Jio, Airtel, Vodafone, BSNL हो या फिर जो भी आपने connection लिया है आपके घर तक आपके Mobile तक जिसके thru आप Internet access कर पाते हैं।

अब होता क्या है अगर आपको Google.com visit करना हैं तो आप आपने मोबाइल के Browser में Type करेंगे या फिर आपके Computer के Browser में Type करें Google.com उसके बाद जो request है वो पहले जाएगी आपकी ISP के पास ( Airtel, BSNL, JIO,IDEA,Vodafone जो भी आपका ISP हो ) के पास request जाएगी तो आपका Computer पहले तो request भेजेगा इनके पास मतलब ISP के पास।

अब ISP आपको Google.com के server तक पहुँच जाएगा अब इसमें होता क्या ये जो भी आपका ISP है ये क्या कर सकते हैं बीच में Blocking लगा सकते है मानलो अपने Google.com Open किया इसमें Block करके रखा है तो ISP Internet तक जाने नहीं देगा Google.com के server तक जाने नहीं देगा आपको बीच में उसको रोक देगा यह चीज़ होती हैं हमारे Router में हमारे College में होती है

College वाले क्या करते है अलग अलग site जो Torrent Site, Social Media Sites उनको ब्लाक कर देते है उससे क्या होता है की आप अगर Internet चला रहे हो आपके College में तो आप के College से बाहर जा ही नहीं पायेगा उसका Data बिच में Block कर दिया जाता है।

इसी तरह जो Government होती है उसमें भी बहुत सारे Torrent Copyright Site जो है बहुत सारे इसमें Movies Download करते थे वो Block कर दिया । वो कैसे करी है ISP को बोल दिया की भाई आपके पास अगर यह Domain या IP की request आई तो आपको वही पे Block करना है आपको India के बाहर ले जाना ही नहीं उसका traffic ऐसे ही सारी sites को Block कर दिया जाता है ।

तो अब यहाँ VPN कैसे आपकी मदद कर सकता है अब देखो VPN क्या होता है एक server होता हैं जिसके अंदर Configuration हम लोग कर देते है उससे क्या होता है कि जब आप Google.com Connect करते हो तो ISP के पास जाता है की आप को Google.com तक जाना है लेकिन अगर आप VPN use कर रहे हो तो वो जो Google.com है वो हो जाता है Encrypt एक टनल बन जाती है। 

आप बोल सकते हो Encryption Connection बन जाता है। तो जब आपका computer request भेजेंगा आपके ISP के पास(  मतलब Airtel, BSNL, JIO,IDEA,Vodafone जो भी आपका ISP हो ) के पास जब request आएगी तो उनको लगेगा कि आपको Google.com के पास नहीं जाना है आपको VPN का जो server है वहाँ तक जाना हो सकता है। 

वो US में हों Canada में हो या फिर आपने अगर India VPN लेके रखा है तो Indian हों तो होता क्या है जब आपका वो connection जायेंगे उनके ISP के पास तो उनको लगेगा आप को तो USA तक जाना है server तक आपको थोड़ी Google.com तक जाना है तो आपको राउट कर देगा और आपको Directly Router के thru पंहुचा देंगा USA तक

अब यहाँ पे जो आपको USA का server है जीसको हम VPN server बोलते वो क्या करेगा उसको वापिस Open करेगा अपने Packet को  उससे उसको पता चल जाएगा कि आपको जाना है Google.com तो वो server से फिर Google.com तक का Connection बनेगा अब इसमें अच्छी बात यह होती है की वो जो server है वो USA में है तो Indian Government या हमारा Indian College है जो भी चीजे यहाँ पर Block करके रखी है तो वहाँ पे वो Block नहीं है तो वहाँ से पूरा Internet आराम से access कर सकते हैं।

घूमा फिरा के VPN क्या करता है आपके connection को spoof कर देता है मतलब आपका ISP आपकी Goverment इनको पता ही नहीं चलेगा कि आपने connection कहाँ कौन सी website को किया क्योंकि आपका पूरा connection जाएगा वो पहले जाएगा उस server तक तो बस ISP को ये पता रहेगा कि आपने उस server से connection बनाया है।  उसको ये नहीं पता चलेगा कि आपके server ने और कहीं भी से connection बनाया है।

तो आप अगर Google.com या कोई Block site Open करते हैं VPN के thru तो आप connection ISP के thru जाएगा VPN server तक अब VPN server वापस ले जाएगा आपको Site तक जहाँ तक आपको जाना है। वो Sites जो भी Reply करेगी वो एक पहले उस VPN server तक फिर वो VPN server वापस आप तक Connect करेगा तो आपके ISP को लगेगा कि आप बस उस server से connection करना है लेकिन वो server आपको कहाँ से क्या लाके दे रहा है वो सिर्फ उस Server को पता है।



अगर आप इससे कुछ गलत करने की सोच रहे हो तो ? 

अगर आप सोचते हैं की अगर मे Hacking करूँ और मैं बच जाऊंगा अगर मैं VPN use करता हूँ क्योंकि मेरी IP भी जाएगी वो मेरी तो जाने से रही वो Server की जायेगी। तो जो भी Website Visit करोगे उस website को लगेगा कि आपको Server मतलब आप USA में बैठे हुए हो तो आपको USA के हिसाब से चीजें दिखेंगी और उनके पास IP Track होगी तो वो उस USA server की होगी। 

लेकिन यहाँ पे एक गौर करने वाली बात यह है कि भले ही आपके ISP को नहीं पता आपने क्या visit किया था लेकिन वो जो server है उसको तो पता है ना उसके पास भी कोई न कोई ISP होगा जो US का होगा जो उसको Connect करता होगा दूसरी website पर उनके पास तो Record बन रहा है।

इस तरह पूरी तरह Hide नहीं कर सकते हैं अपने आप को। Hackers क्या करते है बहुत सारे VPN use करते हैं ताकि traffic एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे अलग server तक जाएं और Onion routing use करते हैं । 

अब अगर आप एक VPN use कर रहे हैं तो एक चीज़ में कर सकते पब्लिक वाईफाई use कर रहे हो आप या फिर आपके College में site बंद है या फिर आपको ऐसी sites Open करना है जो आपके ISP जो India में बंद है तो VPN use करके Connect करके वो सारी sites Access कर सकते हो


क्या VPN से Internet की Speed बढ़ सकती है ? 

 आजकल बहोत लोगो का एक Myth रहता है की अगर मै VPN use करू तो तो मेरी Internet Speed बढ़ जाएगी । अगर आप खुद आपका दिमाग लगा के सोचो अगर आपके पास 10 Mbps का connection है भले ही आप जो VPN का connection use कर रहे हो वो 1 Gbps हो और उस VPN के पास 100 Mbps की Speed हो लेकिन जब आप Connect करोगे उस VPN से तो उस VPN और आपके बिच में आपका ISP तो आपको 10 Mbps की ही Speed दे रहा है

 वो उस website तक जाके 100 Mbps से Data ला भी रहा होगा लेकिन जब वो Data उसे आएंगे आपतक या आपसे जाएंगे उस तक तो उसमे तो आपका ISP आपको 10 Mbps का ही Connection दे रहा है। 

है ना क्योंकि आपके Data जो आपका ISP है उसने आपको 10 Mbps दिया हुआ है और इसमें थोड़ा सा और Late हो जाता है कि मानलो अगर मुझे Flipkart Open करना है India में तो मैं Directly Open करूँगा Flipkart.com तो जो मेरा ISP है Airtel, IDEA, JIO ये क्या करेंगे मुझे Directly बैंगलोर में connect कर देंगे क्योंकि Flipkart का जो connection है जो server है बैंगलोर में है

अगर आप VPN use करते हो तो होगा ये कि जब आप open करेंगे Flipkart.com तो पहले वो ISP आप को ले के जाएगा USA तक फिर USA से वापस connection आएगा बैंगलोर तक । तो कितना घूम फिर के connection जा रहा है इससे होगा की आपको थोड़ा सा Latency मिलेंगी

आपका जो traffic या आपकी website की Speed और connection की Speed है वो थोड़ी Slow हो जाएगी अगर आप India के connection use करते हैं VPN के thru क्योंकि Packet पहले वहाँ तक जाएगा आपको कोई भी website Open करना है पहले उस Country तक जाएगा, उस VPN तक जाएगा फिर वो VPN आपको पूरे Internet से Connect करेगा तो यहाँ पे Speed थोड़ी कम होती है लेकिन Increase तो हो ही नहीं सकती ।


VPN Use करना कितना सेफ है ?

अब आप बोलोगे या कि आपने सबको बता दिया VPN क्या होता है लेकिन भाई ये तो बता दो server कैसे connect करते है क्योंकि मुझे अगर VPN सर्वर से connection करना है तो मैं क्या करूँ तो देखो बहुत सारे App आती है Mobile App आपको Google Play Store पर मिलेंगी, बहुत सारे Chrome के plugins आते हैं Firefox के extension आते हैं बस इनको Install करो और आप Free में उससे Connect हो जाओगे।
 
लेकिन अब आपको यह सारी चीजें भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह Free होती है। तो उनके पास Data बन रहा है कि आपने कौन-कौन सी वेबसाइट search करि है। 

अगर आप जीमेल लॉगइन करते हो क्या नेट बैंकिंग करते हो इन Free VPN Plugins से  उनके पास आपका पूरा data जो है वह चला जाएंगा कि आपने क्या वेबसाइट ओपन की और क्या यूजर नेम पासवर्ड  या फिर ऐसी कोई चीज है जिनको आप पर्सनल रखना चाहते हो। तो अब बात आती है कि

PAID VPN Use कर सकते है क्या  ?

तो देखो PAID VPN भी कर use सकते हैं बहुत सारी company हैं लेकिन वहाँ के Law, Terms and Conditions  में पढोगे तो ये बोलते है अगर हमारी Government बोले की उस VPN से आपने क्या क्या किया है तो हम आराम से सब Data Government को दे देंगे। अगर आप illegal काम करना चाहते हो VPN से तो भी आप नहीं कर पाओगे अगर आप PAID भी खरीद लेते हों और PAID में ये होगा की आपको एक server मिल जाएगा उससे वो आपके लिए रहेगा Free में एक ही server शेयर रहता है तो Speed और कम हो जाती है।



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what is 5G? | 5G Technology Everything in Hindi


5G (fifth generation) Technology in Hindi

आज एक कंपनी ने अपनी 5G की speed testing की है और 100 GBps तक का data transfer speed achieve किया है। लेकिन इतनी ज्यादा high speed हम इंसानो को किस कीमत पर मिलने वाली है क्या ये 5G हम इंसानो के लिए खतरा है।
5G Technology


पूरी दुनिया में आज एक Technology काफी चर्चा का विषय बनी हुई  है । कुछ इसका criticism कर रहे है तो कुछ समर्थन कर रहे है और वो Technology  है 5G (Fifth Generation) आप में से भी कई इसका बेसब्री से इंतेजर कर रहे होंगे की ये आखिर इंडिया कब आयेंगा और आपके मन में भी काफी सवाल उठ रहे होंगे जैसे की ये इंडिया में कब लांच होंगी इसकी speed क्या होंगी और न जाने ऐसे ही कई सवाल।

आज एक कंपनी ने अपनी 5G की speed testing की है और 100 GBps तक का data transfer speed achieve किया है। लेकिन इतनी ज्यादा high speed हम इंसानो को किस कीमत पर मिलने वाली है क्या ये 5G हम इंसानो के लिए खतरा है। आज इस पोस्ट में आपको 5G के बारे में पूरी information indepth मिलने वाली है तो ready हो जाओ जानने के लिए 5G का पूरा सच।

आज पूरे 1.37 billion की आबादी वाले भारत में करीब 800 million mobile phone का use होता हैं और उसमें से करीब 627 million लोग internet का use करते हैं एक रिपोर्ट के मुताबिक एक इंसान करीब 20 से 40 GB तक डाटा हर महीने इस्तेमाल करता है  जैसे 1 घंटे के ऑनलाइन गेम में 20MB-50MB तक का डाटा खर्च हो जाता है अगर आप कोई गाना सुनते तो हो उसमें  5MB-10MB तक का डाटा use हो जाता है अगर आप Youtube पर कोई video देख लेते हो तो 300 से 400MB या 1GB तक डाटा खर्च हो जाता है भारत में इसकी अहम वजह तो jio ही है। अगर आप कोई एक ईमेल भी भेजते हो  तो उसमें 20KB से 30KB DATA USE हो जाता है और अगर आप एक text फाइल बनाते हो और उसमें कोई नाम लिखते हो  जैसे की MYRULESZ तो उस text file का size 8 bytes हो जाएगा  मतलब 1 Letter  का size 1 byte का। तो आप खुद ही सोच सकते हो 500 MB - 600 MB  की Movie में कितनी information होती होंगी।  और आप उस पर सिर्फ 1 click करके within मिली सेकंड देख पाते हो और इसी process को पूरा करने का काम करता है इंटरनेट। इंटरनेट का top most purpose information को source से destination तक पहुंचाने का है इस काम को बिना किसी Latency से करने का तरीका है अगर हम इस information को speed of light से ट्रैवल करवा सके तो

Latency का मतलब है जैसे आप अपनी आंखों से किसी और चीज़ को देख रहे हो तो आपकी आंखें उस फंक्शन को nerve cells की मदद से आपके दिमाग तक भेजेंगे फिर आपका दिमाग उस डाटा को प्रोसेस करेगा और तब आपको समझ आएगा कि वह एक हाथी की फोटो है तो आप की आंख से हाथी को देखने से लेकर आपके दिमाग को उसको समझने में जितना टाइम लगा है उसी ही लेटेंसी कहते हैं और यह Latency जितनी कम होगी इंटरनेट उतना ही फास्ट चलेगा। इंटरनेट को चलाने के लिए हम काम में लाते हैं Light Signal और electromagnetic waves को और दोनों की ही  travelling speed Light of Speed के बराबर होती है

इस नेटवर्क को आप घर की वायरिंग की तरह समझ सकते हैं जैसे आपके घर के सारे Appliances आपस में वायर के थ्रू कनेक्ट होते हैं और हम जो स्विच ऑन करते हैं वह कनेक्शन का सर्किट कम्पलीट हो जाता है और उसमें से करंट फ्लो करने लगता है और वह Appliance ON हो जाता है।
बिल्कुल इसी तरह दुनिया के सारे इंटरनेट डिवाइसेज जैसे कि Phone, Computer, Smart Watch आदि यह सभी चीजें आपस में दो medium के थ्रू कनेक्ट होते है। पहला Optical Fiber Cable और दूसरा Electromagnetic Waves .


Optical Fiber Cable & Electromagnetic Waves

इंफॉर्मेशन पहले आप के डाटा सेंटर से आपके लोकल एरिया सेल टावर तक लाइट सिगनल के फॉर्म में optical fiber cable के अंदर से ट्रैवल करते हुए आता है और उसके बाद cell tower में लगे ट्रांसमीटर एंटीना EM Waves के फॉर्म में Transmit करते हैं और आपके फोन में लगे Universal Antenna इस information को रिसीव करते हैं और इस तरह एक सर्किट कंप्लीट हो जाता है।

इसलिए Optical Fiber Cable को हम इंटरनेट का Backbone भी कह सकते हैं ये Optical Fiber Cable समुद्र के नीचे से और पहाड़ों के ऊपर से होते हुआ पूरी दुनिया को आपस में कनेक्ट करके रखते है। यानी इंटरनेट की वायरिंग पूरी दुनिया में फैली हुई है। हमारे इंटरनेट की स्पीड mainly cell towers टेक्नोलॉजी और उसकी Electromagnetic Radio Waves की frequency और benefit पर डिपेंड करती है अभी तक हमारे पास 4G LET है जो हमें शायद Web Surfing, YouTube और ऐसी लोकल साइट के लिए sufficient है।

लेकिन बहुत सारी ऐसी इंडस्ट्रीस है जो 5G के आने के बाद पूरी तरह से बदल सकती है जैसे हेल्थ केयर इंडस्ट्री, एविएशन इंडस्ट्री। इंडिया में करीब 1000 लोगों पर एक डॉक्टर है और अगर हम Rural Area की बात करें तो वहां पर एक अच्छा डॉक्टर ना होने पाने की वजह से काफी लोगो को अपनी जान भी गवानी पड़ती है और अगर 5G इन जगह पर पहुंच जाता है तो डॉक्टर clinical variables और health monitoring devices की मदद से डॉक्टर पेशंट को remotely एग्जामिन कर सकते हैं और यह बिल्कुल real time में हो पाएगा आज हम 4G की मदद से ऐसा कुछ करने की कोशिश करेंगे तो 4G की Latency करीब 300 से 400 मिली सेकंड की है लेकिन हम अगर वही 5G की बात करे तो उसकी Latency घटकर 30 से 40 मिली सेकंड हो जाती है। मानलीजिए जैसे अगर वह डॉक्टर अमेरिका में बैठ के इंडिया के गांव में किसी इंसान का ऑपरेशन करने के लिए कट लगाएगा तो अमेरिका में कट लगाने के 30 मिली सेकंड के बाद ही यहां इंडिया में इंटरनेट से जुड़ी मशीन वही मूवमेंट 30 मिली सेकंड बाद परफॉर्म कर देंगी याने वह मशीन डॉक्टर के मूवमेंट को बिल्कुल real time में कॉपी कर पाएंगी।

अगर आप में से कोई PUBG खेलता होगा तो उसे  ping के बारे में पता ही होगा अगर game में ping ज्यादा होती है तो हमारा game बहुत Lag करता है और हम किसी को मारते हैं तो वह रियल टाइम में वहां मौजूद ही नहीं होता इसलिए हमारा एम करना लगभग impossible हो जाता है लेकिन अगर ping 35 से 40 मिली सेकंड के बीच होती है तो हम game आसानी से गेम खेल सकते हैं।

5G टेक्नोलॉजी के बारे में अभी हम कुछ भी सटीकता के साथ नहीं कह सकते यह टोटली कंपनियों पर डिपेंड करता है मगर जिन कंपनियों ने 5G की टेस्टिंग की है आज हम उन टेक्नोलॉजी की बात कर सकते हैं ।Millimeter wave spectrum 40 GHz से 300 GHz की वह bandwidth है जो आज तक किसी भी टेलीकॉम कंपनी ने use नहीं किया है और 5G टेक्नोलॉजी में इसी bandwidth का इस्तेमाल किया जाएगा।

ज्यादा bandwidth होने की वजह से ज्यादा डिवाइसइस को इसमें सेम टाइम में कनेक्ट कर सकते हैं लेकिन यह millimeter wave ज्यादा डिस्टेंस तक travel नहीं कर सकती बिल्डिंग पेड़ या फिर कोई भी solid चीज इनको absorb कर सकती है जिसे information Loss होने का खतरा  हो सकता है तो अब इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए छोटे-छोटे सेल टॉवर्स को एक-दूसरे से काफी नजदीक इंस्टॉल किया जाएगा और यह एक सिग्नल को 1 beam की फॉर्म में डायरेक्ट ली अपने टारगेट फोन तक पहुंचा पाएगा।

मल्टीपल इनपुट मल्टीपल आउटपुट
जो भी डाटा सेल टावर ट्रांसमिट या रिसीव करता है उसमें मेन रोल टावर में लगे एंटीना का होता है आज एक Tower में लगभग 10 से 13 एंटीना लगे होते हैं लेकिन 5G के Tower में यह बढ़कर करीब सौ के आसपास हो सकते हैं।


Mobile Phone Generations

Mobile Phone Generation From 1G to 5G

1G: मोबाइल वॉयस कॉल
       Analog Signals
       Basic Voice Service
       Analog Based Protocol
          Year : 1980

2G: मोबाइल वॉयस कॉल और एसएमएस
               Voice and SMS Service
               Year : 1990

3G: मोबाइल वेब ब्राउजिंग

       Voice and Data
        Fast internet up to 2000kbps
        Video Calling & Streaming
         Year : 2001

4G: मोबाइल वीडियो की खपत और उच्च डेटा गति
       Smartphones
       Year : 2009

5G: उपभोक्ताओं की सेवा और उद्योगों के डिजिटलाइजेशन की तकनीक।
       Internet Of Things (IoT)
       Year : 2020

 Full-duplex

पहले मोबाइल फोन में एक टाइम पर एक ही आदमी बोल सकता था और दूसरा आदमी केवल उसकी बात को सुन सकता था। इसलिए "over and out" जैसे keywords का इस्तेमाल किया जाता था। ताकि सामने वाले इंसान को पता चल जाए कि उसने अपनी बात कंप्लीट कर दी है। क्योंकि बेसिक एंटीना एक टाइम एक ही काम कर सकता था या तो ट्रांसमीटर का या रिसीवर का उसको आप rail track की तरफ भी समझ सकते हो।

अगर एक ही ट्रैक पर आमने सामने से दो ट्रेन आ जाती है तो वह same track से same टाइम पर नहीं निकल पाएंगे। 

लेकिन फुल डुप्लेक्स में हम एक सर्कुलर बायपास क्रिएट करदेंगे और वह टकराने के बजाय अलग-अलग ट्रक से पास हो जाएंगी

5G के आने से पहले काफी scientist और researchers ने  5G टेक्नोलॉजी को human health care perspective से काफी Criticize कर रहे हैं और इसकी कई कारण है। हमारे बॉडी की स्किन जो कि एक एंटीना की तरह काम करती है जो signals को continuously transmit और receive करती रहती है और एक signal की frequency ज्यादा हो जाए तो यह हमारी DNA या skin cells को damage कर सकती है। कुछ दिनों पहले ही doctor, Scientist और environmental organisations मिल कर तुरंत 5G के deployment को रोकने की मांग की थी और उनका का कहना था कि 5G Humanity के साथ एक experiment है और यह international law के तहत एक क्राइम है और उनका कहना है कि MM Waves का इस्तेमाल कर crowd को deter or drive करने के लिए किया जाता था। इन MM waves से लोगों के skin में एक जलन से पैदा होने लगती थी जिसकी वजह से भीड़ बिखर जाती थी। Human Body में हमेशा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल के throw information transmit या receive होती रहती है और जब तक इसकी frequency balance होती है तब तक हमारी फिजिकल एंड मेंटल state normal बनी रहती है यह तो आप सभी को पता ही होगा कि हमारे शरीर और दिमाग की एक नेचुरल Frequency होती है जिसमें वह normal state में रहती है। अगर हम किसी की मेंटल Frequency को चेंज कर दे तो इससे हम उसके मूढ़ को भी बदल सकते हैं।

जैसे आपने Captain America के Bucky को देखा होगा जब डायरी में लिखे शब्द एक sequence के form में सुनाए जाते हैं  तो वो शब्दो सुनके उसके दिमाग की Frequency चेंज हो जाती थी और वो उसकी हर बात सुनने लगता था।

 साइंटिस्ट का कहना है कि की Frequency इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन सिस्टम को imbalance कर सकती है। और इस तरह  यह एक इमोशनल मेंटल फिजिकल या साइकोलॉजिकल डिजीज का कारण बन सकती है हमारा दिमाग एक Frequency बैंड के अंदर काम करता है अगर किसी external wave की Frequency के अंदर चली जाती है तो इससे किसी के brain perspective को external चेंज किया जा सकता है। यानी किसी के दिमाग में उसकी समझ को चेंज किया जा सकता है। लोगों को external influence किया जा सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक Frequency और emotional state में एक रिलेशन होता है।


कुछ टाइम पहले एक रिसर्च की गई थी इसमें 2 लोगों के ग्रुप को अलग अलग रखा गया था। पहले ग्रुप था जो काफी दुखी था। मतलब उनके अंदर काफी चीज को लेकर काफी गुस्सा था और एक ऐसा ग्रुप था जिसमें हर चीज को लेकर प्यार और +Ve Positivity थी जब इन दोनों रूम की frequency को मॉनिटर किया गया तो पता चला कि इन दोनों रूम की फ्रिकवेंसी एक-दूसरे से काफी अलग है इस रिसर्च के मुताबिक इन Frequency को यूज करके हम किसी भी इंसान को इमोशनल स्टेट को चेंज कर सकते हैं या उसके अंदर बदले की भावना पैदा कर सकते हैं या फिर उसे डिप्रेशन में भी डाल सकते हैं और लोगों को इसके बारे में पता भी नहीं चलेगा अगर यह प्रोसेस किसी कम्युनिटी के ऊपर किया गया तो हो सकता है कि वह एक जंग का रूप ले ले आपको शायद यह बातें सुनने में काफी अजीब लग रही होगी और इस पर यकीन भी नहीं हो रहा होगा।

5G टेक्नोलॉजी की अलग-अलग कंपनीया अलग अलग तरह से इस्तेमाल करने वाली है। अब देखने की बात यह है कि कौन सी कंपनी इसे पहले Launch करती है हो सकता है। 5G के दुष्परिणाम हमें आज देखने को ना मिले लेकिन हमारी आने वाली Generation पे इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है। आज 5G दुनिया की सबसे बड़ी conspiracy में से एक बन गया है और इसका Future क्या होगा ये अभी कहा नहीं जा सकता।


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Beware! WhatsApp is NOT offering 1000GB free data


सावधान रहें! WhatsApp 1000GB मुफ्त डेटा नहीं दे रहा है


व्हाट्सएप पर एक नया Message viral किया जा रहा है जो की अपनी 10 वीं वर्षगांठ के उत्सव के उपलक्ष में उपयोगकर्ताओं को 1000GB डेटा देने का वादा करता है, Forbes ने एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है की यह एक Scam है  । रिपोर्ट में सुरक्षा फर्म ESET के शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि उन्हें फर्जी message मिला है।


WhatsApp पर एक नया Message viral किया जा रहा है जो अपनी 10 वीं वर्षगांठ के उत्सव के एक हिस्से के रूप में उपयोगकर्ताओं को 1000GB डेटा देने का वादा करता है, Forbes ने एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है की यह एक Scam है  । रिपोर्ट में सुरक्षा फर्म ESET के शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि उन्हें फर्जी message मिला है। Message में लिखा है, "WhatsApp 1000GB मुफ्त इंटरनेट प्रदान करता है!" और इसके साथ एक लिंक भी है, जिस पर क्लिक करके उपयोगकर्ता को एक survey पूरा करने के लिए कहते हैं और मुफ्त डेटा का दावा करने के लिए WhatsApp पर 30 लोगों के साथ Share करने को कहते हैं।


भले ही ESET शोधकर्ताओं ने संदेश के कोई सबूत नहीं पाए हैं जिसमें मैलवेयर या उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंचने का प्रयास किया गया है, इसे संदेश के पीछे किसी भी बिंदु पर बदला जा सकता है। अब तक, लिंक का उद्देश्य साइबर अपराधियों के लिए विज्ञापन क्लिक revenue प्राप्त करना है।


इस तरह के Message के माध्यम से आने वाले लिंक पर क्लिक न करने की सलाह लोगों को दी जाती है। एक बार फिर से बता दू , WhatsApp अपने उपयोगकर्ताओं को मुफ्त डेटा नहीं दे रहा है, और न ही यह कह Message Share कर रहा है। cyber security firm McAfee में मुख्य उपभोक्ता सुरक्षा इंजीलवादी, Gary Davis उन संदेशों के साथ बातचीत करने से बचने का सुझाव देते हैं जो संदिग्ध दिखते हैं, बल्कि किसी भी प्रचार ऑफ़र की जांच के लिए सीधे कंपनी की वेबसाइट पर जाएं।


डेविस ने कहा, "अगर आपको कोई अपरिचित भाषा में लिखा कोई message मिलता है, जिसमें कोई offer हो , या ऐसा दावा किया जाता है जो सच होने में बहुत अच्छा लगता है, तो किसी भी संलग्न लिंक पर click करने से बचें।"



McAfee blog post, के अनुसार, cyber criminals scam message का उपयोग "दुर्भावनापूर्ण योजनाओं को अंजाम देने के लिए" के रूप में कर रहे हैं। एक बात धयान दे WhatsApp अपने promotions के लिए कभी भी अपने मैसेज App का उपयोग नहीं करता है। लेकिन बहोत से लोग अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करते है।


फ़िलहाल इन सब scam का उद्देश्य विज्ञापन पर क्लिक्स के माध्यम से revenue उत्पन्न करने पर केंद्रित है, लेकिन ये कभी भी लोगों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे credit card numbers, password, इत्यादि का खुलासा करने के लिए phishing scam में बदल सकता है, आप लोगो को इस तरह के कई Branded Company (जैसे Adidas, Nestle, Rolex, और आदि ) के नाम से भी ये ये fake promotional वाले WhatsApp Message किये जाते है तो इससे सावधान रहिये ।


How To Open Blocked Websites in 2019

How Unblock Blocked Website

Blocked Website

Now a day Most of the websites are Blocked by Government in Your Country. If you trying access one of that site in your Mobile or Computer you will see the message like this "**YOU ARE NOT AUTHORIZED TO ACCESS THIS WEB PAGE AS PER THE DOT COMPLIANCE**" that mean the website is banded in your country. If you are in India and using jio sim, then definitely you have saw that message before.


**YOU ARE NOT AUTHORIZED TO ACCESS THIS WEB PAGE AS PER THE DOT COMPLIANCE**


It is was a very bad and complicated moment when you see this message & someone don't no what happened and why this website are blocked as per DOT COMPLIANCE . This type of Website Blocking Activities are increasing day by day on Internet by Gov.

Why Website Block ?

At that time many information and content are easily available on the internet but some contains are very violent and dangerous to show publicly so to prevent such content to go in public Authorities will black list the website I.P. in their controlled I.S.P (Internet service Providers). There are some more reasons for block website   is pirated content like Pirated Movies, Songs etc. that was previously easily available on the Torrent websites now all Torrent websites are blocked in India.

In School, Colleges, Institutes, Government Offices etc they can also block website for their Students and Employs. They can use a Host Filter on their Router for blocking certain websites.

In School & Colleges mostly they can block social media sites (eg. Facebook, Instagram, Twitter etc.) and harmful contain websites. For protecting their students form harmful contains. 

But some people can easily access this blocked websites without any problem. Now the question is How Do They Do It ?

How To Access ?

In this article I am focusing on the android mobile devices. There are many methods & software are available on internet to access a blocked websites In Computer but in your android Mobile Devices have some limitation.If you want to know how to unblock website read below steps carefully.

Steps:

1. First Download Thunder VPN from Playstore [Thunder VPN]




2. After app successfully Install open it & Click On Accept

3. Then Click CONNECT button.

4. After few second it CONNECTED.
Once's it Connected Open your browser and surf block website freely 


Thunder VPN is low size & light-fast app provide Free & Fast VPN service. No need any configuration manually, simply one click on button that's its , you are fully secure and anonymously for accessing the Internet

Thunder VPN
✓ Large number of servers, high-speed bandwidth
✓ Choose apps which using VPN (Android 5.0+ required)
✓ Works with Wi-Fi, LTE/4G, 3G and all mobile data carriers
✓ Strict no-logging policy
✓ Smart choose server
✓ Well-designed UI, a few ADs
✓ No usage and time limit
✓ No registration or configuration required
✓ No additional permissions required 

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Raspberry Pi - Single-Board Computer in Hindi

Raspberry Pi - Single-Board Computer

टेक्नोलॉजी जिसका कहीं ना कहीं हमारी जिंदगी में बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट रोल है क्या आपने कभी नोटिस किया ? अगर नहीं तो करके देखिए। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी अपग्रेड होती जाती है ये अपने साथ-साथ अपने डिवाइसेज को और भी छोटा करते जाती है ताकि इसे आसानी से  उपयोग किया जा सके जैसे First Generation Computer जो था उसका size बहोत बड़ा था पर जैसे जैसे टेक्नोलॉजी एडवांस होती गई इसका साइज भी काम होता गया। तो आज  हम ठीक  ऐसे ही एक डिवाइस के बारे में बात करेंगे जिसका नाम है  Raspberry Pi  हो सकता है आपने यह नाम पहले भी सुना हो  अगर ना भी सुना हो तो कोई बात नहीं इसके बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए ।
Raspberry Pi

History:

अगर टेक्नोलॉजी की बात करूं तो हमेशा कुछ ना कुछ नया इन्वेंशन होता ही रहता है लेकिन ऐसे ही कि innovation सन 2012 में  की गई थी। जब एक Raspberry Pi Foundation नामक charity ने villages  के स्कूलों में बुनियादी computer science को बढ़ावा देने के लिए एक चीज develop की गई single-board computer और  उसका नाम रखा गया Raspberry Pi  और  इसके साथ वो यूके का अब तक का सबसे अधिक बिकने वाला पीसी भी बन गया।

What is Raspberry Pi ? 

Raspberry Pi क्या है ?


Raspberry Pi  एक स्मॉल साइज और  कम दाम वाला कंप्यूटर है। यह देखने में तो ये सिर्फ छोटी सर्किट बोर्ड समान दिखता है और इसका साइज आपके जेब में रखे क्रेडिट कार्ड के साइज जितना ही है।  इसे आप आसानी से कहीं भी  अपनी जेब में रखकर ले जा सकते हैं। जिसे आप किसी भी कंप्यूटर  के मॉनिटर या टीवी से कनेक्ट कर सकते है इसके साथ  ही इसमें स्टैण्डर्ड कीबोर्ड और माउस  के लिए यूएसबी पोर्ट भी दिए गए हैं जिससे आप  इन्हें  आसानी से कनेक्ट कर सखे। इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है की किसी भी  उम्र के लोग इसे आसानी इसे   इस्तेमाल कर सकते है। 


Raspberry Pi को run  कैसे करें?

Raspberry Pi कुछ इस तरह इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले इसके Memory Card Slot में एक Class 10 Memory Card को insert किया जाता है जो की इसके लिए एक Hard Drive की तरह कार्य करता है जो की USB द्वारा Powered(संचालित) होता है। यह 5 Volt के Power Supply से चल जाता है। इसमें Video Output के लिए एक HDMI Port दिया होता है जिसे आप चाहें तो अपने TV से Connect कर सकते हैं। Video Output के लिए इसको आप Traditional RCA TV Set मतलब की पुराने TV's के साथ भी इसे जोड़ सकते हैं। Input के लिए इसमें USB keyboard और mouse का use कर सकते है।


What can do with a Rasberry Pi?

Rasberry Pi  से क्या-क्या कर सकते हैं?

इसके साथ आप कई प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस सीख सकते हैं 
जैसे: 
  • Scratch
  • Python
  • HTML5
  • JavaScript
  • JQuery
  • Java
  • C
  • C++
  • Perl
  • Erlang  

इत्यादि। ये Linux Based OS पर चलता है और इसके अलावा इसमें 11 अलग-अलग Operating System भी Use किये जा सकते हैं

  1. ARM-Based Linux Operating Systems
  2.  Raspberry Pi Media Centers
  3.  RISC OS Pi
  4.  Plan 9
  5.  Retro Gaming for Raspberry Pi
  6.  FreeBSD
  7.  Chromium OS
  8.  Windows 10 IoT Core
  9.  Android and Android Things
  10.  AROS: AmigaOS Remake
  11.  IchigoJam BASIC RPi
जो innovators होते है जो नई नई चीजें बनाते हैं जो कंप्यूटर्स को हार्डवेयर से जोड़ते हैं या कि फिर रोबोट को बनाते हैं ऐसी ही जगहों पर इसका बहोत USE किया जाता है क्योंकि इसका साइज छोटा होने के कारन इसे आसानी से कही फिट किया जासकता है

तो आइए देखते हैं Raspberry Pi  का  उपयोग करके कैसे Projects बना सकते  है या फिर अब तक बनाए गये है


 इसके अलावा आप भी अपने किसी प्रोजेक्ट में इसे इस्तेमाल कर सकते हैं

Rasberry Pi Models:

Raspberry Pi 4 B(1GB) / B(2GB) / B(4GB)    - Released (2019) *Latest
                                                 Raspberry Pi 4        From $35

Raspberry Pi 1 model B - Released (2012)
Raspberry Pi 1 model A - Released (2013)
Raspberry Pi 1 model B+ - Released (2014)
Raspberry Pi 1 model A+  - Released (2014)
Raspberry Pi 2 model B - Released (2015)
Raspberry Pi 3 model B      - Released (2018)
Raspberry Pi 3 model A+     - Released (2018)
Raspberry Pi Zero    - Released (2015)
Raspberry Pi Zero W   - Released (2017)

Raspberry Pi Used in Hacking

अगर कोई Hacker है या Hacking सीखना चाहता हो तो वो इसकी सहायता से एक Hacking Device डिवाइस बना सकता है। हैकर्स का जो सबसे पसंदिता Operating System होता है वो है Kali Linux क्युकी इसमें पहले से बोहोत से हैकिंग टूल्स इनस्टॉल होते है। हैकर्स इसमें Kali Linux का उपयोग करके बहोत से Hacking Activities को परफॉर्म करते है।

अभी हाल ही में Hackers ने Raspberry Pi का इस्तेमाल करके NASA का  बहुत ही Sensitive डाटा Hacked कर लिया गया था जिसमें 500 MB की तीन Docs फाइल थी।  तो आप इस बात का अंदाजा लगा सकते कि एक छोटा सा Raspberry Pi क्या कर सकता है।

अगर आपको ये POST अच्छा लगा हो या फिर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें निचे कमेंट करे ।

 । धन्यवाद् ।

Hackers Hacked Russian FSB contractor and expose secret projects

Hackers Group Hacked Russian FSB


रूस की एक कंपनी Federal Security सर्विस(FSB) की वेबसाइट "SyTech" को "0v1ru$" नाम के हैकर्स ग्रुप ने हैक कर लिया और साइट पे "योबा फेस" लगा दिया। 




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